Thursday, 25 August 2011

मोहब्बत

हर शै से है, प्यारी मुहब्बत
ज़माने से जुदा हमारी मुहब्बत..

इक बार जो लग जाए,
ताउम्र छूटती नहीं,
ऐसी है ये बीमारी मोहब्बत..

कभी गुजरता है पल सदियों में,
कभी सदियाँ पलों में
कैसी है ये खुमारी मोहब्बत..

इश्क जब जूनून बन जाता है,
महबूब ही खुदा हो जाता है
कायनात पर है ये भारी मुहब्बत...

दिखने में कमजोर वो शख्स,
ज़माने से लड़ गया
वाह रे तेरी ये कलाकारी मोहब्बत ...

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