Wednesday 28 August 2013

बलम

जईसे भंवरा के कली कली, रिझावेला बलम,
तोहरी मोहिनी ये सुरतिया हमके, भावेला बलम.।

धीरे धीरे निंदिया के चोर बन गईला,
चाँद हम रहनी तू चकोर बन गईला ,
हो तोहरे सांस के बंसुरिया, मन लुभावेला बलम,
तोहरी मोहिनी ये सुरतिया हमके, भावेला बलम.।

पिरितिया के रंग में चुनर रंगवईनी,
हथवा पर मेहँदी से नाम लिखवईनी,
हो तोहरे याद के लहरिया तन डुबावेला बलम,
तोहरी मोहिनी ये सुरतिया हमके, भावेला बलम.।

एक एक दिन त  जईसे साल बन  जाला,
जईसे मीरा भई दीवानी हमरो, हाल बन जाला,
हो तोहके पाइब इ सपनवा नित, जगावेला बलम
तोहरी मोहिनी ये सुरतिया हमके, भावेला बलम.।

!!अनु!!




Saturday 24 August 2013

चाँद

उफ़्क के चाँद के देखो,
कैसा स्याह सा
प्रतीत  होता है न,
जैसे किसी ने उदासी के
रंग उड़ेल दिए हों
उस पर,
खबर है मुझे,
तुम्हारे चले जाने से
मैं ही नहीं,
पूरी कायनात उदास है,
'तुम' चले गए,
और पीछे रह गए,
'तुम्हारे'
जाते क़दमों के निशाँ ,
'आज'
रात भी उदासी ओढ़
कर सोएगी,
'और मुझे'
शायद नींद ही
न आये,
'ऐ रात री'
आज तू भी जाग न
मेरे साथ,
रात भर चाँद
देखेंगे दोनों,
'देखो' रात ने
हामी भर दी,
'अब' मैं और रात,
'दोनों ही'
रात भर जागेंगे,
और चाँद के साथ
इन्तजार करेंगे,
'तुम्हारे' लौट आने का,
बड़ी हसरतों से ढूंढेंगे,
तुम्हारे जाते क़दमों
के बीच,
तुम्हारे लौटते क़दमों,
के निशाँ  !!अनु!!

Tuesday 20 August 2013

व्यथा 'उसकी' जो नर है न नारी,

व्यथा
'उसकी'
जो नर है न नारी,
कहावतों के अनुसार,
मिलता है पूर्वजन्म के
श्राप के फलस्वरूप,
ये शापित जीवन,
कितनी विकट परिस्थिति,
न 'स्त्री' समाज में स्वीकार्य,
न ही 'पुरुष' समाज में,
जीवन का कोई ध्येय नहीं,
आँखों में कोई सपना भी नहीं,
दुनिया की इस भीड़ में,
होता कोई अपना भी नहीं,
अपनी दुआवों से लाखों  का
गोद भरने वाले,
रातों को रोते हैं,
अपनी  सूनी गोद देख कर,
चीत्कार उठता है मन,
जब देखा जाता है उन्हें
हिकारत की नजर से,
अपने दर्द, अपने आंसू समेट,
दूसरों की खुशियों का हिस्सा बन,
पी जाते हैं अपनी वेदना,
झूम कर , नाच गा कर,
देते हैं, झोली भर - भर दुवायें,
ज़ार - ज़ार  रोता होगा उनका मन भी,
शहनाइयों की गूँज पर,
बालक के रुदन पर,
दुल्हन के स्वागत पर,
उस पर भी विडम्बना ये,
कि  मृत्यु पश्चात् उनकी शव यात्रा,
खड़े खड़े होती है,
पीटा जाता है उनके शव को,
जूतों से, चप्पलों से,
'ताकि' अगले जन्म,
'वो' मुक्त हों,
ऐसे शापित जीवन से। . !!अनु!!




Friday 16 August 2013

सपना

बरसों से 
उसकी आँखों में 
एक
सपना कैद था, 
उसी सपने के साथ 
वो अपना अतीत 
जी चुकी थी, 
वर्तमान जी रही थी 
और 
उसी के साथ उसने 
भविष्य के सपने भी 
बुन रखे थे,
आज अचानक
उसकी आँखे खुली
और
वो सपना उसकी कैद
से रिहा हो गया,
वो ठगी सी अपलक
देखती रह गयी.
बरसों से सहेजे सपने का
दूर जाना उसे भा नहीं
रहा था शायद। .!!अनु !!

Sunday 11 August 2013

खामोश मोहब्बत

खामोश मोहब्बत को
लफ्जों की गरज नहीं होती,
प्रेम पत्र की दरकार नहीं होती,
एक हल्की सी नजर,
कह जाती है सैकड़ों अफ़साने,
'पर'
नजरों को पढने का हुनर भी
सबको कहाँ आता है भला ?
तुम सबसे अनोखे हो,
पढ़ लेते हो मेरी हर अनकही,
मेरी हर नजर,
और बुन लेते हो
कितनी ही कहानियां,
हमें संग पिरो कर !!अनु!!

Saturday 10 August 2013

chand

चाँद फलक पर सही, उतार लाऊंगी इक दिन, 
मंजिल उस ओर सही,पार जाउंगी इक दिन, 
तू दूर देश में बना ले अपना ठिकाना चाहे, 
ओ मेरे आसमा तुझे, छू कर आउंगी इक दिन !!अनु!!

Thursday 8 August 2013



'प्रेम'
तुमसे प्रेम नहीं करती अब, 
फिर भी जाने क्यों। . 
हर सुबह होठों पर 
नाम तुम्हारा होता है, 
हर शाम तुम्हारा ही 
नाम ले कर गुजरती है। 
अब भी दिल का वो कोना 
खाली होने के इंतज़ार में है। 
अब भी आँखों की नमी 
वैसी ही है-- न जाने क्यों …… !!अनु!!

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...