Saturday 23 April 2016

मुझमें 'तुम'

तुम समेट लेना चाहते थे,
मुझमें से 'तुम',
परन्तु
तमाम प्रयासों के बाद भी,
शेष रह गया,
थोड़ा सा अहसास,
आकाश भर प्रेम,
अंजुरी भर याद,
चाँद भर स्नेह,
काँधे का तिल,
तुम्हारी देह गंध,
या यूँ कहूँ,
नहीं निकाल पाए तुम,
मुझमें से 'तुम' !!अनुश्री!!

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...