Saturday 19 August 2017

तुम्हारा लौटना

तुम्हारा लौटना
यूँ कि जैसे
बहार उतर आई हो
आंगन में,
यूँ कि जैसे
गुलमोहर
खिलखिला पड़े हों,
तुम्हारे बाद
हाथ छुड़ा गयी थीं
प्रेम कवितायें,
गुम हो गए थे
जज़्बात,
तुम्हारा लौटना,
जैसे कि
जिन्दगी लौट आई ...!!अनुश्री!!

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...