Tuesday 30 July 2013

चाहत



तुझसे ही थी ख़त्म हुई और 
तुझसे ही शुरुआत हुई,
जब भी जिक्र हुआ चाहत का, 
तेरी ही तो बात हुई .. 
मेरे सारे सुख दुःख पल छीन 
तेरे ही मोहताज  रहे, 
तूने कहा तो दिन निकला 
और तूने कहा तो रात हुई। . 

Friday 26 July 2013

इश्क तब भी था, 
इश्क अब भी है. 
उसके एहसास, 
हमेशा ही शामिल रहे, 
जिंदगी में, 
'बस' 
दरमयां वक़्त आ गया, 
'बेवक्त' ..!!अनु!!

'बारिश'

'बारिश' आज भी लुभाती  है मुझे, 
मालूम है मुझे, 
कहीं न कहीं तुम भी 
हर बारिश की बूंदों में 
ढूंढते होगे मुझे, 
यक़ीनन, 
तुम्हारे दिल के किसी कोने में 
आज भी रहती हूँ मैं।।
'हुंह' तुम क्या जानो .
 कितनी शिद्दत से चाहा थे तुम्हे, 
तुम ही कभी समझ नहीं पाए, 
या फिर शायद मेरी बंदगी में कोई कमी थी ..  
इतना जानती हूँ,
 जिस दासी की दीनता से चाहा था तुम्हे,
 फिर कोई, 
कोई भी नहीं चाहेगी उतना, 
कभी पूछना बादलों से,
 उनकी बूंदों के आड़ ले कर कई बार   
मेरी आँखें छलक जाती हैं, 
ये भी पता है इनसब से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला,
 'तुम' तुम ही रहोगे, 'और मैं' मैं ही .. !!अनु!! 

Sunday 14 July 2013

कॉफी

'मैं' आज भी पीती हूँ
कॉफी,
उतनी ही दीवानगी के साथ, 
जैसे 
तब पीती थी, 
पता है क्यों? 
उनमे तुम्हारी 
यादों की मिठास 



के बावजूद
एक अजीब सी 
कडवाहट है,
जिंदगी की कडवाहट, 
तुम्हे खो देने की कडवाहट,
अब तो ये मिठास 
और ये कडवाहट 
मेरी जिंदगी का हिस्सा 
बन गए हैं , 
जिन्हें मैं खोना नहीं चाहती ..


सुनो!! 
तुम्हारे लिए 
बना रखी है
'कॉफी'
ढेर सारा प्यार 
और थोड़ी सी, 
मुस्कान घोल कर, 
पी लेना, 
और 'हाँ' 
जल्द लौटूंगी 
अपने होठों के निशान, 
तुम्हारे 
अकेलेपन के कप पर 
रखने के लिए, 
'अपने' 
भीगे एहसास 
सम्हाले रखना 
'मेरे लिए' 
तुम्हारी ही 

'मैं' !!अनुश्री!! 

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...