'मैं' आज भी पीती हूँ
कॉफी,
उतनी ही दीवानगी के साथ,
जैसे
तब पीती थी,
पता है क्यों?
उनमे तुम्हारी
यादों की मिठास

के बावजूद एक अजीब सी
कडवाहट है,
जिंदगी की कडवाहट,
तुम्हे खो देने की कडवाहट,
अब तो ये मिठास
और ये कडवाहट
मेरी जिंदगी का हिस्सा
बन गए हैं ,
जिन्हें मैं खोना नहीं चाहती ..
सुनो!!
तुम्हारे लिए
बना रखी है
'कॉफी'
ढेर सारा प्यार
और थोड़ी सी,
मुस्कान घोल कर,
पी लेना,
और 'हाँ'
जल्द लौटूंगी
अपने होठों के निशान,
तुम्हारे
अकेलेपन के कप पर
रखने के लिए,
'अपने'
भीगे एहसास
सम्हाले रखना
'मेरे लिए'
तुम्हारी ही
'मैं' !!अनुश्री!!
कॉफी,
उतनी ही दीवानगी के साथ,
जैसे
तब पीती थी,
पता है क्यों?
उनमे तुम्हारी
यादों की मिठास

के बावजूद एक अजीब सी
कडवाहट है,
जिंदगी की कडवाहट,
तुम्हे खो देने की कडवाहट,
अब तो ये मिठास
और ये कडवाहट
मेरी जिंदगी का हिस्सा
बन गए हैं ,
जिन्हें मैं खोना नहीं चाहती ..
सुनो!!
तुम्हारे लिए
बना रखी है
'कॉफी'
ढेर सारा प्यार
और थोड़ी सी,
मुस्कान घोल कर,
पी लेना,
और 'हाँ'
जल्द लौटूंगी
अपने होठों के निशान,
तुम्हारे
अकेलेपन के कप पर
रखने के लिए,
'अपने'
भीगे एहसास
सम्हाले रखना
'मेरे लिए'
तुम्हारी ही
'मैं' !!अनुश्री!!
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी रचना