Thursday 21 December 2017

तुमने कहा

तुमने कहा -
खुद को मेरी नज़र से देखो,
दुनिया का सबसे खूबसूरत चेहरा हो तुम।
"उसने मान लिया।"
तुमने कहा -
तुम्हारी आँखें हमेशा कुछ बोलती हैं मुझसे,
या यूँ कहूँ, बोलती सी हैं तुम्हारी आँखें।
"उसने मान लिया।"
तुमने कहा -
तुम्हारी आवाज़ कलेजा चीर कर
रूह तक जा पहुँचती है।
"उसने मान लिया।"
तुमने कहा -
जब तुम्हारे साथ होता हूँ,
खुद के साथ नहीं होता।
"उसने मान लिया।"
फिर तुमने कहा -
आज बात नहीं हो पायेगी,
व्यस्त हूँ बहुत।
"उसने मान लिया।"
तुमने कहा -
तुम्हें नहीं लगता,
तुम्हें खुद को थोड़ा इम्प्रूव करना चाहिये।
"उसने मान लिया।"
तुमने कहा -
आज वहाँ नहीं मिलते,
लोग जानते हैं मुझे, बदनामी होगी।
"उसने मान लिया।"
अंत में तुमने कहा -
सुनो, मुझे बढ़ना है आगे,
बुनना है एक नया सपना,
रचनी है एक नयीं दुनिया।
"उसने, ये भी मान लिया।" ..... !!अनुश्री!!

Saturday 19 August 2017

तुम्हारा लौटना

तुम्हारा लौटना
यूँ कि जैसे
बहार उतर आई हो
आंगन में,
यूँ कि जैसे
गुलमोहर
खिलखिला पड़े हों,
तुम्हारे बाद
हाथ छुड़ा गयी थीं
प्रेम कवितायें,
गुम हो गए थे
जज़्बात,
तुम्हारा लौटना,
जैसे कि
जिन्दगी लौट आई ...!!अनुश्री!!

Saturday 7 January 2017

प्रेम का गणित

(1)

मैं
नकारती हूँ,
देह, आँखें, दिल और
प्यार की दुनिया,
स्वीकारती हूँ,
धुंध, सपने,
जिस्मों के उस पार
की दुनिया..... !!अनुश्री!!


(2)
वो पढ़ रही है,
प्रेम का गणित,
उसके अनगिनत कोण,
उसने पढ़ा कि
प्रेम नहीं रहता,
एक बिंदु पर
टिक कर कभी,
बदलता रहता है
स्वरूप,
उसने पढ़ा कि
दो समान्तर रेखायें
जुड़ कर
बदल सकती हैं एक रेखा में,
परन्तु
त्रिकोण नहीं हो सकते एक,
इन दिनों वो
लिख रही है
उदासी ..... !!अनुश्री!!


(3)
उसने कहा
'खुद को मेरी नजर से देखो'
वो शामिल हो गयी
दुनिया की सबसे
खूबसूरत औरतों में,
इन दिनों उसे
दिखने लगे हैं
अपने चेहरे पर उगे
तमाम तिल,
हज़ारों निशान...!!अनुश्री!!


साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...