तुम्हारा लौटना
यूँ कि जैसे
बहार उतर आई हो
आंगन में,
यूँ कि जैसे
गुलमोहर
खिलखिला पड़े हों,
तुम्हारे बाद
हाथ छुड़ा गयी थीं
प्रेम कवितायें,
गुम हो गए थे
जज़्बात,
तुम्हारा लौटना,
जैसे कि
जिन्दगी लौट आई ...!!अनुश्री!!
यूँ कि जैसे
बहार उतर आई हो
आंगन में,
यूँ कि जैसे
गुलमोहर
खिलखिला पड़े हों,
तुम्हारे बाद
हाथ छुड़ा गयी थीं
प्रेम कवितायें,
गुम हो गए थे
जज़्बात,
तुम्हारा लौटना,
जैसे कि
जिन्दगी लौट आई ...!!अनुश्री!!
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