Friday 23 November 2018

बंजारे

ये जानते हुए भी
कि तुम बंजारे हो,
वो तुम्हारी आँखों में
ढूँढती रही स्थायित्व,
ढूँढती रही,
वो स्वप्न,
जो बांध सकता था उसे,
तुम्हारे साथ,
उम्र भर के लिए,
परन्तु, तुम बंजारे हो न,
घुमक्कड़ी तुम्हारे खून में
रची - बसी है,
तुम नहीं रह सकते
एक दिल में टिक कर,
एक बदन पर रुक कर,
तुम्हें तो चलते जाना है,
मन - दर - मन,
बदन - दर - बदन,
पर ये भी जान लो बंजारे,
तुम कितने भी मन घूम लो,
कितने भी बदन चख लो,
एक दिन लौटना ही है तुम्हें,
वहाँ
जहाँ से तुमने
यात्रा, प्रारम्भ की थी.....!!अनुश्री!!

Saturday 10 November 2018

लड़कियाँ

कुछ लड़कियाँ
ज़िन्दा रहती हैं,
ज़ख़्म और आँसू
साथ ले कर,
उनके हाथों में,
प्रेम की लकीरें नहीं होतीं,
उन्हें नसीब नहीं होता
चाहत, खुशी, उम्मीद,
वो सिर्फ़ छले जाने
के लिए होती हैं,
उन्हें छला जाता है
एक बार, दो बार
कई-कई बार,
इतनी बार कि उन्हें
नफरत हो जाती है
प्रेम से,
और फिर उन्हें
रोज़ ही
होने लगता है
प्रेम......!!अनुश्री!!

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...