Wednesday 16 September 2015

'प्रेम'

'प्रेम' मेरे
तुम जानते हो ना,
तुमसे इतर कुछ भी
नहीं गढ़ा मैंने,
न जिन्दगी, न सपने,
न खुशियाँ,
'तुम'
यानी जीवन संगीत,
मन के मयूर का नृत्य,
तुम खिलखिलाती हंसी,
चहकती ख़ुशी,
महकता आँगन,
बरसता सावन,
फागुन के रंग,
जीने की उमंग,
मेहंदी की खुशबू,
जादूगर का जादू,
जीवन का आभास,
'प्रेम' तुम साँस !!अनुश्री!!

Monday 14 September 2015

'विदा'

तुमसे कहा था न,
जिस रोज़ जान जाऊँगी
तुम्हारा 'सच'
कोई सवाल नहीं करुँगी,
कोई जवाब नहीं माँगूंगी,
'बस'
दूर क्षितिज पर लिख दूंगी, 
'विदा'
और खो जाऊँगी
आसमान में यहीं-कहीं !!अनुश्री!!

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...