Wednesday 16 September 2015

'प्रेम'

'प्रेम' मेरे
तुम जानते हो ना,
तुमसे इतर कुछ भी
नहीं गढ़ा मैंने,
न जिन्दगी, न सपने,
न खुशियाँ,
'तुम'
यानी जीवन संगीत,
मन के मयूर का नृत्य,
तुम खिलखिलाती हंसी,
चहकती ख़ुशी,
महकता आँगन,
बरसता सावन,
फागुन के रंग,
जीने की उमंग,
मेहंदी की खुशबू,
जादूगर का जादू,
जीवन का आभास,
'प्रेम' तुम साँस !!अनुश्री!!

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