Wednesday 30 December 2015

प्रतीक्षा

(1)
तुमसे छूट जाने के बाद
कितना कुछ छूटता गया मुझसे,
मेरी मुस्कान,
मेरी कहानियाँ,
मेरी कवितायेँ,
जैसे कि तुम्हारा छूट जाना,
शब्दों का छूट जाना था,
जिन्दगी का छूट जाना था ...

(2)
ढलती शाम के साथ सूरज
समेट ले जाता है,
मेरी आस का उजाला,
उम्मीदों के रँग,
खिलखिलाती हँसी,
दिन भर की ख़ुशी,
छोड़ जाता है 'मुझमे'
'तन्हाई',
'उदासी',
'और'
प्रतीक्षा का
'एक और दिन' !!अनुश्री!!

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...