Friday 21 December 2018

आपने जब रखा

आपने जब रखा ज़िन्दगी में कदम, दिल की बगिया में कितने सुमन सज गये,
नैन ये स्वप्न के बीज बोने लगे, मेरी चाहत के अनगिन महल बन गये 

आपके साथ जिन रास्तों पर चली, हो के पथरीले भी वो  सुमन  से लगे,
आपने हाथ जब हाथ में था लिया, प्रेम के गीत अधरों पे सजने लगे,
प्रीत क्वाँरी मेरी, तब सुहागन बनी, यूँ लगा कि धरा और गगन मिल गये


मुझको चाहत नहीं, स्वर्ण के हार की, आपका प्यार ही मेरा श्रृंगार है,
मैंने अर्पित किया, भाव का हर सुमन, आप से ही तो अब, मेरा संसार है,
प्रेम के दो अलग पुष्प आ कर प्रिय, प्राण के एक ही पृष्ठ में ढल गये

धड़कनें प्रेम की धुन में खोयीं रहीं, मौन से मौन की बात होती रही,
सांस उलझी रही, सांस की थाप पर, प्रीत की जीत को नींद हारी गयी,
आपने जब टंका प्रेम पलकों पे था, नेह के सिंधु से ये नयन भर गये

Monday 17 December 2018

sher

उसने बोला, रूह तक जाना है, और,
हम बदन की बात ले के रो दिये  ...... !!अनुश्री!!

usne bola, rooh tk jana hai, aur
hum bdn ki baat leke ro diye... 

Friday 23 November 2018

बंजारे

ये जानते हुए भी
कि तुम बंजारे हो,
वो तुम्हारी आँखों में
ढूँढती रही स्थायित्व,
ढूँढती रही,
वो स्वप्न,
जो बांध सकता था उसे,
तुम्हारे साथ,
उम्र भर के लिए,
परन्तु, तुम बंजारे हो न,
घुमक्कड़ी तुम्हारे खून में
रची - बसी है,
तुम नहीं रह सकते
एक दिल में टिक कर,
एक बदन पर रुक कर,
तुम्हें तो चलते जाना है,
मन - दर - मन,
बदन - दर - बदन,
पर ये भी जान लो बंजारे,
तुम कितने भी मन घूम लो,
कितने भी बदन चख लो,
एक दिन लौटना ही है तुम्हें,
वहाँ
जहाँ से तुमने
यात्रा, प्रारम्भ की थी.....!!अनुश्री!!

Saturday 10 November 2018

लड़कियाँ

कुछ लड़कियाँ
ज़िन्दा रहती हैं,
ज़ख़्म और आँसू
साथ ले कर,
उनके हाथों में,
प्रेम की लकीरें नहीं होतीं,
उन्हें नसीब नहीं होता
चाहत, खुशी, उम्मीद,
वो सिर्फ़ छले जाने
के लिए होती हैं,
उन्हें छला जाता है
एक बार, दो बार
कई-कई बार,
इतनी बार कि उन्हें
नफरत हो जाती है
प्रेम से,
और फिर उन्हें
रोज़ ही
होने लगता है
प्रेम......!!अनुश्री!!

Monday 3 September 2018

मुक्त

जितना आसान होता है,
ये कह देना कि
जाओ मुक्त किया तुम्हें,
उतना ही मुश्किल होता है,
साल - दर - साल साथ
निभाये गये लम्हों से मुक्त होना,
मुक्त होना उस एहसास से,
जहाँ दुनिया तुमसे शुरू होकर
तुमपर ही खत्म हो जाती है,
जहाँ सपने
तुम्हारे सपनों से मिलकर ही,
आकार लेते हैं,
तुम्हारे मुस्कुरा भर देने से,
खिल उठते हैं,
दिन, दोपहर, शाम,
तुम्हारा होना ही होता है,
जिन्दगी का होना,
'सच'
कितना आसान होता है ये कह देना,
जाओ मुक्त किया तुम्हें ... !!अनुश्री!!

तुम्हारी मीरा


Monday 25 June 2018

स्त्री के मन की थाह

एक स्त्री के मन की
थाह लेना,
ब्रह्मा के वश में भी नहीं,
तुम तो मात्र मनुष्य हो,
तुमने सोच भी कैसे लिया
कि जिस चक्रव्यूह को
ब्रह्मा भी नहीं भेद सके,
उसे भेदने का सामर्थ्य तुममे होगा,
तुम्हें क्या लगा,
तुम स्नेह और प्रेम का
आवरण ओढ़ कर आओगे
तो उसे अपने छले जाने का एहसास नहीं होगा,
तुम ग़लत हो पुरुष,
एकदम ग़लत,
उसे पता होता है ख़ुद के छले जाने का,
लेकिन वो जिसे प्रेम करती है न,
उसके लिए खुद को बिखेरने में भी
संकोच नहीं करती,
वो छली भी जाती है तो उसकी अपनी मर्ज़ी से,
न कि तुम्हारे चाह लेने से,
उसे पता होता है प्रेम के उस पार पीड़ा है,
गहन अन्धकार है,
फिर भी वो तुम्हारी चंद दिनों की ख़ुशी के लिए
उम्र भर के लिए उस पीड़ा और अन्धकार का वरन करती है,
तुम नहीं समझ सकते,
प्रेम में छले जाने का सुख,
किसी के लिए खुद को
बिखेर देने का सुख,
किसी के नाम की माला फेरते - फेरते
जोगन बन जाने का सुख,
किसी के इश्क़ में फ़ना हो जाने का सुख ..... !!अनुश्री!!

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...