आपने जब रखा ज़िन्दगी में कदम, दिल की बगिया में कितने सुमन सज गये,
नैन ये स्वप्न के बीज बोने लगे, मेरी चाहत के अनगिन महल बन गये
आपके साथ जिन रास्तों पर चली, हो के पथरीले भी वो सुमन से लगे,
आपने हाथ जब हाथ में था लिया, प्रेम के गीत अधरों पे सजने लगे,
प्रीत क्वाँरी मेरी, तब सुहागन बनी, यूँ लगा कि धरा और गगन मिल गये
मुझको चाहत नहीं, स्वर्ण के हार की, आपका प्यार ही मेरा श्रृंगार है,
मैंने अर्पित किया, भाव का हर सुमन, आप से ही तो अब, मेरा संसार है,
प्रेम के दो अलग पुष्प आ कर प्रिय, प्राण के एक ही पृष्ठ में ढल गये
धड़कनें प्रेम की धुन में खोयीं रहीं, मौन से मौन की बात होती रही,
सांस उलझी रही, सांस की थाप पर, प्रीत की जीत को नींद हारी गयी,
आपने जब टंका प्रेम पलकों पे था, नेह के सिंधु से ये नयन भर गये
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