Thursday, 25 August 2011

कान्हा

मेरे मन मंदिर में प्रियवर,
बस स्थान तुम्हारा है..

इस पुरे जग में, मेरे प्रियतम,
तू ही मुझको प्यारा है...

मुझको कोई गर्ज नहीं है,
इस दुनिया की बातों से ....

तेरी चाहत, तेरी पूजा,
बस यही काम हमारा है.....

(मेरे आराध्य 'श्री कृष्ण' को समर्पित)

No comments:

Post a Comment

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...