ये मन भी बड़ा अजीब है ..
कभी भागता है सपनो के पीछे ..
तो कभी अपनों के पीछे ...
अपनों को देखती हूँ ..तो..
सपने छूटते हैं ..
सपनो के पीछे भागती हूँ ..
तो.. अपने ..
दुविधापूर्ण स्थिति है !
सपने या अपने ..?
फिर सोचा .. सपने तो सपने हैं ..
मिले न मिले ..
पर अपने ....
हमेशा होते है , हमारे आस पास ..
हमारे साथ साथ ...
बंद कर आई मैं..
अपने सपनो को..
काली अँधेरी कोठरी में ..
सिसकते, रोते हुए ...
दम तोड़ने के लिए..
नम आँखों से ..
लौट आई मैं ...
अपने अपनों के पास !!
कभी भागता है सपनो के पीछे ..
तो कभी अपनों के पीछे ...
अपनों को देखती हूँ ..तो..
सपने छूटते हैं ..
सपनो के पीछे भागती हूँ ..
तो.. अपने ..
दुविधापूर्ण स्थिति है !
सपने या अपने ..?
फिर सोचा .. सपने तो सपने हैं ..
मिले न मिले ..
पर अपने ....
हमेशा होते है , हमारे आस पास ..
हमारे साथ साथ ...
बंद कर आई मैं..
अपने सपनो को..
काली अँधेरी कोठरी में ..
सिसकते, रोते हुए ...
दम तोड़ने के लिए..
नम आँखों से ..
लौट आई मैं ...
अपने अपनों के पास !!
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