जब भी गाया, तुमको गाया, तुम बिन मेरे गीत अधूरे,
तुमको ही बस ढूंढ़ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे ...
तुम पर ही थी लिखी कविता, तुम पर ही थे छंद लिखे,
तेरे किस्से, तेरी बातें, तेरी सुधियों के गंध लिखे ..
तुमको ही अपने जीवन के, नस नस में बहता ज्वार कहा,
मेरे मन की सीपी में, तुम ही थे पहला प्यार कहा ,
एकाकी मन के आँगन में, बरसो बन कर मेघ घनेरे ...
तुमको ही बस ढूंढ़ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे ...
तुम इन्ही पुरानी राहों के, राही हो कैसे भूल गए,
आँखों से आँखों में गढ़ना, सपन सुहाने भूल गए ...
वो पल जो तुम संग बीत गए, वो पल मेरे मधुमास प्रिय,
ये पल जो तुम बिन बीत रहे, ये पल मेरे वनवास प्रिय ..
मैं मीरा सी प्रेम दीवानी, तुम हृदय बसे घनश्याम मेरे,
तुमको ही बस ढूंढ़ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे ...
तुमको ही बस ढूंढ़ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे ...
तुम पर ही थी लिखी कविता, तुम पर ही थे छंद लिखे,
तेरे किस्से, तेरी बातें, तेरी सुधियों के गंध लिखे ..
तुमको ही अपने जीवन के, नस नस में बहता ज्वार कहा,
मेरे मन की सीपी में, तुम ही थे पहला प्यार कहा ,
एकाकी मन के आँगन में, बरसो बन कर मेघ घनेरे ...
तुमको ही बस ढूंढ़ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे ...
तुम इन्ही पुरानी राहों के, राही हो कैसे भूल गए,
आँखों से आँखों में गढ़ना, सपन सुहाने भूल गए ...
वो पल जो तुम संग बीत गए, वो पल मेरे मधुमास प्रिय,
ये पल जो तुम बिन बीत रहे, ये पल मेरे वनवास प्रिय ..
मैं मीरा सी प्रेम दीवानी, तुम हृदय बसे घनश्याम मेरे,
तुमको ही बस ढूंढ़ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे ...
bahut sundar rachna ke liye badhai
ReplyDeleteshukriya Ashok ji..
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
Shukriya Mahendra ji..
Deleteप्रेम मय ... लाजवाब मधुर रचना ....
ReplyDeleteShukriya Digambar ji..
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