Tuesday 16 April 2013

ग़ज़ल


चेहरा जब आंसूओं से तरबतर होगा,
झील सी आँखों में तब दर्द का बसर होगा ..

नजरें दूर तलक जाके लौट आयेंगी,
धुंध का जिंदगी में जब भी असर होगा ,

जब उठाओगे तलवार बेवफाई की,
सामने देखना मेरा ही झुका सर  होगा,

हर घूँट तेरे नाम का है मंजूर मुझे,
अमृत होगा वो या के जहर होगा,

दर्द के मेले में भी हंसती हो ख़ुशी,
ऐसा कोई तो इस जहान में शहर होगा,

गर लौट भी आये तो क्या होगा 'अनु',
अब  सिन्दूर वो किसी और ही के सर होगा  .. !!अनु!!

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