'उसने',
जिंदगी के रेत से,
एक सपना गढ़ा,
उसे आकार दिया,
सजाया,
जब वो सपना
परिपक्व होने को आया,
तो 'अचानक'
वक़्त की आंधी आई
और उड़ा ले गयी ,
उसके सपने ..
और छोड़ गयी
उसकी आँखों में,
फ़कत 'आँसू ' ... !!अनु!!
उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...
बढिया
ReplyDeleteबहुत सुंदर
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteवक्क ऐसे ही सतम करता है ... अक्सर ...
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