पहला प्यार,
'जैसे'
बारिश की पहली फुहार..
वो ही गीत, वो ही साज़ था,
कैसा अनोखा एहसास था.....
संग उसके, दिन लगते थे पल,
वो नहीं तो, हर पल साल था...
प्यार का ये, कैसा खुमार था,
हर दम जैसे, उसी का इंतज़ार था....
जिसने जिया है, बस वो ही जाने,
वो वक़्त भी, क्या ख़ास था....
!!अनु!! —
Friday, 16 September 2011
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साथ
उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...
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आज रह - रह कर तुम्हारे ख्याल का जेहन में कौंध जाना.. 'मेरी सहेली' तुम्हारा बहुत याद आना, वो हमारी 'तिकड़ी' का मशहूर होना, इक ...
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'देह' स्त्री की, जैसे हो, कोई खिलौना, पता नहीं, 'कब' 'किसका' मन मचल पड़े, 'माँ' 'माँ' यही खिलौन...
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'पापा' आपका जाना दे गया इक रिक्तता जीवन में, असहनीय पीड़ा मेरे मन में.. 'माँ' आज भी बातें करती है लोगों से, लेकिन उसकी बातो...
आपके लिए एक अहसास-
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ख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई
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