Sunday 11 September 2011

Nayan Tumahre

कुछ कहते कहते रुक जाते हैं,
चंचल, मदभरे, नयन तुम्हारे...
पल - पल देखो डूब रहे हम,
झील से गहरे नयन तुम्हारे....

मूक आमंत्रण तुमने दिया था,
अधरों से कुछ भी कहा नहीं,
मुझको अपने रंग में रंग गए,
हाथों से पर छुआ नहीं,
नैनो से सब बातें हो गयीं,
रह गए लब खामोश तुम्हारे....

स्पर्श तुम्हारा याद है मुझको,
सदियों में भी भूली नहीं,
कोई ऐसा दिन नहीं जब,
यादों में तेरी झूली नहीं,
बिन परिचय ही बन बैठे,
दिल के तुम मेहमान हमारे....!!anu!!

No comments:

Post a Comment

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...