
पता है मुझे,
नहीं याद आती मैं तुम्हे,
तुम्हारी 'स्मृति' में कहीं भी नहीं हूँ मैं,
लेकिन यकीं दिलाती हूँ तुम्हे,
'वो' वक़्त भी आएगा,
'जब तुम' याद करोगे मुझे,
'पुकारोगे',
जोर जोर से आवाज़ दोगे मुझे,
पर 'मैं'.. मैं नहीं आउंगी,
क्यूँ कि 'तब'.. हाँ 'तब'
चिर निंद्रा में लीन हो चुकी होउंगी मैं,
इस ब्रह्माण्ड में विलीन हो चुकी होउंगी मैं... !!अनु!!
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