पुरानी डायरी के पन्ने ..
हर पन्ने में खुशबु है,
तुम्हारी यादों की.....
रंगत है,
...उस सूखे फूल की,
जिसे आज भी,
सम्हाल कर रखा है मैंने...
वक़्त बीतता गया,
लम्हे गुजरते रहे,
पलकों पर ख्वाबों के,
सितारे झिलमिलाते रहे.....
'फिर एक दिन'
वो सारे लम्हे,
सारे ख्वाब,
सिमट कर रह गए,
इस पुरानी डायरी के,
नम पन्नो पर..
Monday, 3 October 2011
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साथ
उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...
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'पापा' आपका जाना दे गया इक रिक्तता जीवन में, असहनीय पीड़ा मेरे मन में.. 'माँ' आज भी बातें करती है लोगों से, लेकिन उसकी बातो...
बधाई !
ReplyDeleteखूबसूरत रचनाओं के लिए!
http://ratnakarart.blogspot.com/