Sunday, 26 April 2015

'गुलमोहर'



'गुलमोहर'
जाने क्यूँ,
'तुम'
बहुत अपने से लगते हो,
'तुम्हारा'
एक मौसम में,
भरपूर प्यार बरसा जाना,
जैसे अमृत घोल देता है नशों में,
जिन्दगी भर देता है मुझमें,

और 'मैं'
बाकी के मौसम,
तुम्हारे प्रेम के नशे में,
'इन्तजार'
में काट देती हूँ !!अनुश्री!!

1 comment:

  1. सच है गुलमोहर खिलता है तो बस जैसे गरज के बरसता है ...

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