Wednesday 22 April 2015

'मन'

'इन दिनों'
'मन' उड़ता है,
बादलों के साथ साथ,
लहरों संग अठखेलियां कर,
नंगे पाँव दौड़ पड़ता है, 
रेत पर दूर तक
पहाड़ की चोटी पर
दोनों बाहें पसार,
सिहरती हवा को
अपने भीतर जब्त करने की
नाकाम सी कोशिश,
बेवजह हँसता है,
बेवजह रोता है,
इन दिनों 'मन',
मेरे साथ,
हो कर भी नहीं होता !!अनुश्री!!

No comments:

Post a Comment

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...