'इन दिनों'
'मन' उड़ता है,
बादलों के साथ साथ,
लहरों संग अठखेलियां कर, नंगे पाँव दौड़ पड़ता है,
रेत पर दूर तक
पहाड़ की चोटी पर
दोनों बाहें पसार,
सिहरती हवा को
अपने भीतर जब्त करने की
नाकाम सी कोशिश,
बेवजह हँसता है,
बेवजह रोता है,
इन दिनों 'मन',
मेरे साथ,
हो कर भी नहीं होता !!अनुश्री!!
'मन' उड़ता है,
बादलों के साथ साथ,
लहरों संग अठखेलियां कर, नंगे पाँव दौड़ पड़ता है,
रेत पर दूर तक
पहाड़ की चोटी पर
दोनों बाहें पसार,
सिहरती हवा को
अपने भीतर जब्त करने की
नाकाम सी कोशिश,
बेवजह हँसता है,
बेवजह रोता है,
इन दिनों 'मन',
मेरे साथ,
हो कर भी नहीं होता !!अनुश्री!!
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