Thursday 8 August 2013



'प्रेम'
तुमसे प्रेम नहीं करती अब, 
फिर भी जाने क्यों। . 
हर सुबह होठों पर 
नाम तुम्हारा होता है, 
हर शाम तुम्हारा ही 
नाम ले कर गुजरती है। 
अब भी दिल का वो कोना 
खाली होने के इंतज़ार में है। 
अब भी आँखों की नमी 
वैसी ही है-- न जाने क्यों …… !!अनु!!

1 comment:

  1. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति......

    ReplyDelete

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...