तुम
ढूँढना मुझे, दिल की गहराई में,
मुझको ही पाओगे, संग तन्हाई में।
फागुन की बयार में, खेलोगे गुलाल जब,
रंगों के प्यार में, धरती होगी लाल जब,
झोंका बन के आउंगी, अबके पुरवाई में।
ढूँढना मुझे, दिल की गहराई में,
सावन में झूम के, गाओगे मल्हार जब,
तेरे मेरे प्रेम से, भीगेगी फुहार जब,
बरसेगा प्रीत रस, अबके जुलाई में।
ढूँढना मुझे, दिल की गहराई में,
भीनी से खुशबु बन, महकेगा प्यार जब,
सांवर सी गोरिया, बनेगी संसार जब,
खनकेगी चूड़ियाँ, अबके कलाई में।
ढूँढना मुझे, दिल की गहराई में,
ढूँढना मुझे, दिल की गहराई में,
मुझको ही पाओगे, संग तन्हाई में।
फागुन की बयार में, खेलोगे गुलाल जब,
रंगों के प्यार में, धरती होगी लाल जब,
झोंका बन के आउंगी, अबके पुरवाई में।
ढूँढना मुझे, दिल की गहराई में,
सावन में झूम के, गाओगे मल्हार जब,
तेरे मेरे प्रेम से, भीगेगी फुहार जब,
बरसेगा प्रीत रस, अबके जुलाई में।
ढूँढना मुझे, दिल की गहराई में,
भीनी से खुशबु बन, महकेगा प्यार जब,
सांवर सी गोरिया, बनेगी संसार जब,
खनकेगी चूड़ियाँ, अबके कलाई में।
ढूँढना मुझे, दिल की गहराई में,
Khubsurat.
ReplyDeletebahut badhiya ......
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बेह्तरीन अभिव्यक्ति
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