'प्रेम'
एक लम्बा
अंतराल हो गया,
उससे संवाद हुए,
यक़ीनन, तुम्हे याद नहीं होगी वो,
पर उसे याद हो तुम,
तुम्हारी नीली आँखें,
शरारती मुस्कान,
'तुम्हारा' उसे छुप छुप कर देखना,
सब याद है उसे ,
प्रेम के उन चंद सालों में
पूरी जिंदगी जी ली उसने ,
'प्रेम' सुनने में लफ्ज़ भर,
जिओ,
तो पूरी जिंदगी बदल जाती है,
तुम चाहते थे, 'पूर्ण समर्पण'
और वो, 'सम्पूर्ण व्यक्तित्व',
तुम दिल से देह तक जाना चाहते थे,
और 'वो' दिल से आत्मा तक,
तुम्हारा लक्ष्य 'उसकी देह'
'उसका', ' तुम्हारा सामीप्य',
उसके लिए प्रेम, जन्मों का रिश्ता,
तुम्हारे लिए, चंद पलों का सुख,
परन्तु अपने प्रेम के वशीभूत वो,
शनैः शनैः घुलती रही,
तुम्हारे प्रेम में,
'जानती थी'
उस पार गहन अन्धकार है,
'फिर भी'
तुम्हारे लिए, खुद को बिखेरना,
मंजूर कर लिया उसने ,
'और एक दिन
तुम जीत ही गए, 'उसकी देह'
और वो हार गयी, 'अपना मन'
'फिर'
जैसे की अमूनन होता है,
तुम्हारा औचित्य पूरा हो गया,
'और तुम'
निकल पड़े एक नए लक्ष्य की तलाश में,
'और उसने'
उन लम्हों को समेट कर
अपने आँचल में टांक लिए,
रात होते ही 'उसका आँचल',
आसमां ओढ़ लेता है,
'वो',
हर सितारे में निहारती है तुम्हे,
रात से लेकर सुबह तक.....
एक लम्बा
अंतराल हो गया,
उससे संवाद हुए,
यक़ीनन, तुम्हे याद नहीं होगी वो,
पर उसे याद हो तुम,
तुम्हारी नीली आँखें,
शरारती मुस्कान,
'तुम्हारा' उसे छुप छुप कर देखना,
सब याद है उसे ,
प्रेम के उन चंद सालों में
पूरी जिंदगी जी ली उसने ,
'प्रेम' सुनने में लफ्ज़ भर,
जिओ,
तो पूरी जिंदगी बदल जाती है,
तुम चाहते थे, 'पूर्ण समर्पण'
और वो, 'सम्पूर्ण व्यक्तित्व',
तुम दिल से देह तक जाना चाहते थे,
और 'वो' दिल से आत्मा तक,
तुम्हारा लक्ष्य 'उसकी देह'
'उसका', ' तुम्हारा सामीप्य',
उसके लिए प्रेम, जन्मों का रिश्ता,
तुम्हारे लिए, चंद पलों का सुख,
परन्तु अपने प्रेम के वशीभूत वो,
शनैः शनैः घुलती रही,
तुम्हारे प्रेम में,
'जानती थी'
उस पार गहन अन्धकार है,
'फिर भी'
तुम्हारे लिए, खुद को बिखेरना,
मंजूर कर लिया उसने ,
'और एक दिन
तुम जीत ही गए, 'उसकी देह'
और वो हार गयी, 'अपना मन'
'फिर'
जैसे की अमूनन होता है,
तुम्हारा औचित्य पूरा हो गया,
'और तुम'
निकल पड़े एक नए लक्ष्य की तलाश में,
'और उसने'
उन लम्हों को समेट कर
अपने आँचल में टांक लिए,
रात होते ही 'उसका आँचल',
आसमां ओढ़ लेता है,
'वो',
हर सितारे में निहारती है तुम्हे,
रात से लेकर सुबह तक.....
bahut hi bhavpurna kavita... sunder prastuti.
ReplyDeletewhat a nice way of express feelings anu...absolutely incredible!!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .. लाजवाब रचना
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