ये जग अम्बर और धरा, सब जाती मैं जीत,
गर मेरे मन आ बसै, वो मेरे मनमीत !!अनु!!
लाख छुपाऊँ छुपै नहीं, ये हिरदय की पीर,
पलकों की जद तोड़ के, बह जाता है नीर !!अनु!!
रंग-अबीर-गुलाल सब लाख लगावै कोय.
जब मोरे सजना रँगैं तबहीं होरी होय ।
नहीं नफा-नुकसान कुछ,ये ऐसा व्यापार, उसकी होती जीत है, जो दिल जाता हार !!
लोक लाज सब छोड़ी कै, करती हूँ इकरार,
सोना तो बेमोल है, लाख टके का प्यार !!अनु!!
गर मेरे मन आ बसै, वो मेरे मनमीत !!अनु!!
लाख छुपाऊँ छुपै नहीं, ये हिरदय की पीर,
पलकों की जद तोड़ के, बह जाता है नीर !!अनु!!
रंग-अबीर-गुलाल सब लाख लगावै कोय.
जब मोरे सजना रँगैं तबहीं होरी होय ।
नहीं नफा-नुकसान कुछ,ये ऐसा व्यापार, उसकी होती जीत है, जो दिल जाता हार !!
लोक लाज सब छोड़ी कै, करती हूँ इकरार,
सोना तो बेमोल है, लाख टके का प्यार !!अनु!!
दिल की हार में ही जीत है ... बहुत खूब हैं दोहे ...
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