बुरा न मानो होली है !!
नेह से श्रृंगार कर आया जो फागुन तो, खुशियों की वेणी से द्वार सजने लगे,
पुलकित हुआ मन झूम उठा अंग अंग, अधम, कपट और द्वेष तजने लगे,
उठी जो मनोहर प्रेम की तरंग तो, मन की वीणा के सितार बजने लगे,
चढ़ा जो असर तो शहर के बूढ़े भी, राम नाम छोड़ कर प्रेम भजने लगे !!अनुश्री!!
आ गुलाल कोई मले, या मुझे रँग लगाय,
जो पी के रँग मैं रँगू , मन फागुन हो जाय !!अनुश्री!!
नेह से श्रृंगार कर आया जो फागुन तो, खुशियों की वेणी से द्वार सजने लगे,
पुलकित हुआ मन झूम उठा अंग अंग, अधम, कपट और द्वेष तजने लगे,
उठी जो मनोहर प्रेम की तरंग तो, मन की वीणा के सितार बजने लगे,
चढ़ा जो असर तो शहर के बूढ़े भी, राम नाम छोड़ कर प्रेम भजने लगे !!अनुश्री!!
आ गुलाल कोई मले, या मुझे रँग लगाय,
जो पी के रँग मैं रँगू , मन फागुन हो जाय !!अनुश्री!!
ये होली का असर है और भांग का मज़ा ...
ReplyDeleteहोली कि बधाई ...