Monday 9 September 2013

हे गणपति



खोलो नयन, चहुँ ओर निहारो,
हे गणपति अब, भू को पधारो,

अधम, कपट का, बसता बसेरा,
नयनन को नहीं, दिखता सवेरा,
तुम आकर इस क्षण से उबारो,
हे गणपति अब, भू को पधारो,


राम रहीम के द्वेष मिटा दो,
प्रेम के इत उत फूल खिल दो,
इतनी सी मेरी अरज स्वीकारो,
हे गणपति अब, भू को पधारो,

1 comment:

  1. जय हो ...
    गणपति बप्पा की जय हो ...

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साथ

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