
प्यार नहीं लिखती,
नफरत लिखती हूँ,
मिलन नहीं लिखती
बिछोह लिखती हूँ,
ख़ुशी नहीं लिखती,
वेदना लिखती हूँ,
ऊँचाइयाँ नहीं लिखती,
गहराइयाँ लिखती हूँ,
मुझे प्यार है,
डूबते सूरज से,
गहराती रात से,
दर्द में डूबे साज से ..!!अनु !!
उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...
Beautiful Presentation.
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बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteये बी तो एक एहसास है ... हर बात की अपनी अहमियत होती है ...
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