Wednesday 13 March 2013

शेर शायरी



बेवफा ही सही, अज़ीज़ वो रहा,
फासला ही सही, करीब वो रहा ..!!अनु!!

वो मेरे जीने से सारे अस्बाब (कारण) ले गया,
और दामन में जलता इक ख्वाब दे गया ... !!अनु!!

खतों का मेरी मुझको जवाब दे गया,
लिफाफे में रख के कोई गुलाब दे गया .... !!अनु!!

आसमाँ से मांग कर के कतरा वो अब्र का,
पलकों को मेरी तोहफा नायाब दे गया ..!

'या मौला' कभी तो अपनी रहमत की नजर अता कर,
तेरी महफ़िल में इम्तिहाँ के दौर हैं कितने .. ? !!अनु!!

याद तो तेरी साथ है मेरे, फिर भी ये क्या बात हुई,
तन्हा तन्हा दिन गुजरा और तन्हा तन्हा रात गयी !!अनु!!

कभी फूलों की बारिश, तो कभी काँटों पर हैं पाँव ,
'वक़्त' तू सितमगर है या रहनुमा मेरा .. !!अनु!!

न तो संवरती है, और न ही बिखरती है,
'जिंदगी' तू मेरे किसी काम की नहीं .. !!अनु!!

अजीब शख्स था ..गुम हो गया,
मेरी पलकों को, अश्कों की अमानत सौंप कर .. !!अनु!!

तेरे ख्यालों के रहगुजर से जब भी गुजरे,
इक उदास शाम ही नज़र हुई है हमें !!अनु !!

'बेशक' मेरी जिंदगी तेरे साथ की मोहताज नहीं,
पर 'दिल' तेरे एहसासों का तलबगार आज भी है .. !!अनु!!

बेवफा ही सही, अज़ीज़ वो रहा,
फासला ही सही, करीब वो रहा ..!!अनु!!

वो मेरे जीने के सारे अस्बाब (कारण) ले गया,
और दामन में जलता इक ख्वाब दे गया ... !!अनु!

'तुम'
मेरी कविता के प्राण,
शब्द भी
भाव' भी
'तुमसे'
जीवंत हो उठती है
मेरी कविता !!अनु!!

तन्हा ही गुजारी है, तन्हा ही गुजरूंगी,
'जिंदगी' मुझे तेरे साथ की दरकार नहीं ...

अपनी यादों से कहो,
'मेरे' रतजगे जा सामां न बनें ...

'तुमसे' 
मोहब्बत उतनी ही, 
'जितनी' 
पतंगे को लौ से, 
दिल को धड़कन, 
चाँद को चांदनी से .. !!अनु!!

मैं कविता लिखती नहीं, 
कविता तो रिसती है, 
मेरे लहू के हर बूँद से !!

1 comment:

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...