Tuesday 19 February 2013

कुछ मन की

            

(1)

लाख नफरतें पालो, प्यार कम नहीं होता,

'ख़ुशी' ख़ुशी न देती, अगर गम नहीं होता,

टीस तेरे जाने की दिल से नहीं जाएगी,

वक़्त हर इक जख्म का, मरहम नहीं होता !!


(2)

यक़ीनन, तू रहता है मेरे दिल में , अब भी कहीं न कहीं,

बेसबब, तेरे जिक्र से दर्द-ए दिल नहीं होता .. !!अनु!!


(3)

मेरी मसरूफियत मुझे, रूबरू होने नहीं देतीं,

तुम्हे मिल कर तुमसे गुफ्तगू होने नहीं देतीं,

बिखर कर फिजाओं में, महका तो दूँ चमन तेरा,

ज़माने की रवायतें मुझे, खुशबु होने नहीं देतीं ..!!अनु !!

1 comment:

साथ

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