Tuesday 8 May 2012

लीची

'लीची' सब लोग तो जानते ही होंगे.. लेकिन एक ख़ास बात, पता नहीं होगी किसी को... 'हाँ' मेरे रांची के दोस्त शायद जानते हों... 'लीची' का पत्ता और 'पुटुष' का बीज, दोनों मिला कर खाने में मुह एकदम पान खाने जैसा लाल हो जाता है.. :).. माँ को बहुत चिढाते थे.. 'देख अम्मा... हम पान खाय है'.. और जब वो गुस्सा हो जाती, तब बताते थे.. कि ' ये तो लीची का पत्ता है'..:)..  मामा का घर मुजफ्फरपुर में है.. करीब करीब हर साल भेज देते थे.. अब तो कानपूर में खरीद कर खाना होता है.. लेकिन तब कि बात अलग थी..सब भाई बहन.. एक एक झोपा ले कर बैठ जाते थे..

No comments:

Post a Comment

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...