Monday, 17 December 2012
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साथ
उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...
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आज रह - रह कर तुम्हारे ख्याल का जेहन में कौंध जाना.. 'मेरी सहेली' तुम्हारा बहुत याद आना, वो हमारी 'तिकड़ी' का मशहूर होना, इक ...
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'देह' स्त्री की, जैसे हो, कोई खिलौना, पता नहीं, 'कब' 'किसका' मन मचल पड़े, 'माँ' 'माँ' यही खिलौन...
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हिरोइन नहीं थी वो, और न ही किसी मॉडल एजेंसी की मॉडल फिर भी, जाने कैसा आकर्षण था उसमे जो भी देखता, बस, देखता रह जाता, उसका सांवला सा चे...
bhaut hi khubsurat hai chudiyaan aur ye panktiyaan....
ReplyDeleteThanks Sushma.. tumhari panktiyon se inspired hui hu..
ReplyDeleteबहुत खूब ... इन चूडियों की खनखनाहट ...
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