Friday 23 March 2012
शाम
मेरी हर शाम,
उदासी का चोला पहन,
मंडराती है,
मेरे आस पास,
धीरे से कान में,
फुसफुसाती है,
तुम्हारा नाम,
मध्यम सी हंसी,
"जैसे"
माखौल उड़ाती हो मेरा,
'ले', बड़ा गुमान था न तुझे,
बड़े गुरुर से कहा था तुमने,
'यक़ीनन वो आएगा',
'हुह'
ये शाम का धुंधलका,
काली रात ले कर आएगा,
भोर का उजाला नहीं,
'उफ़'
उस एक शाम ने,
मेरी हर शाम उदास कर दी.. !!अनु!!
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gahre ehsab... dil ko chhuti hui kavita.
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