मेरे पापा,
आपका होना, होता था जैसे,
कड़ी धुप में, शीतल छाँव,
जिम्मेदारियों से मुक्त,
बेफिक्र सी जिंदगी,
सब तो दिया था आपने,
बेहिसाब दर्द,
परेशनियों का हुजूम,
सब जैसे थी, ख्वाब की बातें..
जाना ही नहीं, आर्थिक परेशानी किसे कहते हैं,
जब जो चाहा, जो माँगा, आपने दिया,
बिना किसी शिकन, बिना किसी उलझन,
आज जब एक -एक चीज़ के लिए मशक्कत करनी पड़ती है,
तब पता चलता है, कितनी परेशानियों से जूझते थे आप...
और हमें आभास भी नहीं होने देते थे,
कभी कभी, जब भी जीवन से हार कर टूटने लगती हूँ,
याद करती हूँ आपको, कैसे आप जीवन की हर बाधा
हँसते हँसते पार कर जाते थे,
'और'
जुट जाती हूँ, इक नए उत्साह के साथ,
जीवन की आप धापी से जूझने के लिए,
अपने बच्चो को, हर ख़ुशी देने के लिए,
अपने सारे दुःख, सारी परेशानी,
बिना उन्हें जताए....
आप भी तो यही करते थे न पापा....
gahre jajbat ke sath bahut hi achchhi kavita.
ReplyDeleteVERY NICE
ReplyDeleteawsome feelings ..
ReplyDeleteGOOD.
ReplyDelete