Thursday 19 August 2021

बंजारे

तुम 
देह की दुनिया के
मुसाफ़िर थे,
तुमने मन को चखना
ज़रूरी ही कहाँ समझा,
फिर भी बंजारे,
मुझे प्रेम है तुमसे,
खूब सारा प्रेम ....!!अनुश्री!!

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर रचना आदरणिया जी

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साथ

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