Monday 26 October 2020

देह

उसने सीखा कि
प्रेम में
देह द्वारा देह को चख लेना
अनैतिक नहीं होता,
उसने सीखा कि
साधारण चेहरे और साँवले बदन पर भी
बरसता है प्रेम,
लेकिन नहीं सीख पायी वो
जो सबसे ज़रूरी था
उसे जानना चाहिये था
कि
देह के सफ़र पर निकले मुसाफ़िर
देह की रंगत नहीं देखते,
नहीं देखते
चेहरे का नमक,
उनके लिये तो
देह का देह होना ही
सबसे खूबसूरत है ..!!अनुश्री!!

मुसाफ़िर

मुसाफ़िर,
तुम लौटे भी तो तब,
जब उसने उम्मीद के शीशे को
चूर - चूर कर के
अवसाद की गहरी खाई में
फेंक दिया,
अपनी मुस्कान के
दिये बुझा कर
उदासी की गहरी नींद
सो गयी,
वीराने में ख़ुद को तलाशते
वो इतनी दूर निकल आयी है
कि उसकी वापसी
सम्भव ही नहीं...!!अनुश्री!!

तुम्हारी तस्वीर

तुम्हारी तस्वीर
इक पड़ाव है
जहाँ
कुछ पल के लिये
ठहर जाता है मन
ठहर जाती है
ज़िन्दगी,
तुम्हारी तस्वीर
संझा का राग है
कि कभी-कभी
डूबते सूरज के साथ
डूबने लगता है मन भी
तुम्हारी रंग-बिरंगी तस्वीर
याद दिलाती है
कभी
तुम्हारी खुशियों के सारे रंग
मुझसे थे
तुम्हारी तस्वीर
बताती है कि
ज़िन्दगी के
फ़ीके होते रंगों के बीच भी
इश्क़ का रंग
एकदम पक्का होता है
हमेशा ही
तुम्हारी तस्वीर
आँखों के रस्ते दिल तक
पहुँचने के बाद
बह निकलती है
आँखों से ही,
तुम्हारी तस्वीर
अहसास दिलाती है कि
टूट कर चाहने वाले
टूट कर रह जाते हैं
एक दिन ...!!अनुश्री!!

Saturday 17 October 2020

अब जबकि ज़िन्दगी साथ छोड़ रही है

अब जबकि
ज़िन्दगी साथ छोड़ रही है,
तुम चाहते हो
कि बचा लो उसे,
अब जबकि मृत्यु
उसे आलिंगनबद्ध करना चाहती है,
तुम किसी बच्चे की मानिंद
भींच लेते हो उसे,
जैसे कि तुम्हें
अपनी प्रिय वस्तु के
छीने जाने का डर हो,
अब जबकि साँस थक रही है उसकी,
तुम चाहते हो कि वो सुबह-सुबह
तुम्हारे साथ भागे,
अपनी सांस के पीछे-पीछे,
कितना ख़याल रखने लगे हो उसका,
'खाना खाया'?
'दवाई ली' ?
दिन प्रतिदिन
क्षीण होती काया को
फिर से हरी-भरी देखने की
तमन्ना पाल रहे हो,
काश कि तुम जानते,
पौधे समुचित देखभाल के बाद ही
मज़बूत वृक्ष के परिवर्तित होते हैं,
खोखले पेड़ों की जड़ों में
कितनी भी मिट्टी थोप दो,
कितने भी खाद पानी डाल दो,
उन्हें तो गिरना ही है,
एक दिन
काश कि तुम जानते,
कि वो मशीन नहीं थी,
देह थी, धड़कन थी .....

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...