भोर की उनींदी आँखों में
उपजा एक ख्याल,
प्रेम 'रंगरेज' भी तो है,
रंग देता है, 'मन',
'सपने', 'जीवन'
और हाँ 'ख्याल' भी,
तुम्हें याद है न,
हमारा अनायास मिल जाना,
पता नहीं कब
वक़्त ने जड़ दिया था
वो रंगीन पन्ना
हमारे जीवन में,
वो 'एक दिन'
हमारे पुरे जीवन का 'सार',
जाते वक़्त तुमने कहा,
'मौसम'
लौट कर आने के लिए जाते हैं,
लेकिन हर बार
मौसम के साथ
रंगों का आना
तय तो नहीं होता न,
जाने, इस मौसम के रंग,
मुझसे मिले न मिलें,
मुझपर खिलें न खिलें !!अनुश्री!!
उपजा एक ख्याल,
प्रेम 'रंगरेज' भी तो है,
रंग देता है, 'मन',
'सपने', 'जीवन'
और हाँ 'ख्याल' भी,
तुम्हें याद है न,
हमारा अनायास मिल जाना,
पता नहीं कब
वक़्त ने जड़ दिया था
वो रंगीन पन्ना
हमारे जीवन में,
वो 'एक दिन'
हमारे पुरे जीवन का 'सार',
जाते वक़्त तुमने कहा,
'मौसम'
लौट कर आने के लिए जाते हैं,
लेकिन हर बार
मौसम के साथ
रंगों का आना
तय तो नहीं होता न,
जाने, इस मौसम के रंग,
मुझसे मिले न मिलें,
मुझपर खिलें न खिलें !!अनुश्री!!
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