तुम समेट लेना चाहते थे,
मुझमें से 'तुम',
परन्तु
तमाम प्रयासों के बाद भी,
शेष रह गया,
थोड़ा सा अहसास,
आकाश भर प्रेम,
अंजुरी भर याद,
चाँद भर स्नेह,
काँधे का तिल,
तुम्हारी देह गंध,
या यूँ कहूँ,
नहीं निकाल पाए तुम,
मुझमें से 'तुम' !!अनुश्री!!
मुझमें से 'तुम',
परन्तु
तमाम प्रयासों के बाद भी,
शेष रह गया,
थोड़ा सा अहसास,
आकाश भर प्रेम,
अंजुरी भर याद,
चाँद भर स्नेह,
काँधे का तिल,
तुम्हारी देह गंध,
या यूँ कहूँ,
नहीं निकाल पाए तुम,
मुझमें से 'तुम' !!अनुश्री!!
इमानदार सी अभिव्यक्ति ... मैं मिटाना होता है पूर्ण ...
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