(1)
तुमसे छूट जाने के बाद
कितना कुछ छूटता गया मुझसे,
मेरी मुस्कान,
मेरी कहानियाँ,
मेरी कवितायेँ,
जैसे कि तुम्हारा छूट जाना,
शब्दों का छूट जाना था,
जिन्दगी का छूट जाना था ...
(2)
ढलती शाम के साथ सूरज
समेट ले जाता है,
मेरी आस का उजाला,
उम्मीदों के रँग,
खिलखिलाती हँसी,
दिन भर की ख़ुशी,
छोड़ जाता है 'मुझमे'
'तन्हाई',
'उदासी',
'और'
प्रतीक्षा का
'एक और दिन' !!अनुश्री!!
Wednesday 30 December 2015
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साथ
उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...
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'देह' स्त्री की, जैसे हो, कोई खिलौना, पता नहीं, 'कब' 'किसका' मन मचल पड़े, 'माँ' 'माँ' यही खिलौन...
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रिमझिम बारिश की बूँदें, ज्यों पड़ती हैं, इस तपती जमीं पर, उठती है खुशबू, 'सौंधी सी' फ़ैल जाती है, 'फिज़ाओ में' हाथ पकड़ कर, खीच...
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अब जबकि ज़िन्दगी साथ छोड़ रही है, तुम चाहते हो कि बचा लो उसे, अब जबकि मृत्यु उसे आलिंगनबद्ध करना चाहती है, तुम किसी बच्चे की मानिंद भींच...
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