कहीं ऐसा न हो जाये कभी,
कि मेरी सहनशक्ति
अपने तटबंधों को तोड़,
पुरे रफ़्तार से
किनारे से टकरा जाये
आ जाये तूफ़ान,
मच जाये हाहाकार ...
कहीं ऐसा न हो जाये कभी,
कि वर्षों से सुषुप्त ज्वालामुखी,
सह न सके भावनाओं का वेग
और फूट जाये,
बह उठे ज्वार भावनाओं का,
बहा ले जाये,
'घर' 'परिवार' ...
मुझे रहने दो मेरी
सीप के अन्दर,
उकसाओ मत .. !! अनु!!
कि मेरी सहनशक्ति
अपने तटबंधों को तोड़,
पुरे रफ़्तार से
किनारे से टकरा जाये
आ जाये तूफ़ान,
मच जाये हाहाकार ...
कहीं ऐसा न हो जाये कभी,
कि वर्षों से सुषुप्त ज्वालामुखी,
सह न सके भावनाओं का वेग
और फूट जाये,
बह उठे ज्वार भावनाओं का,
बहा ले जाये,
'घर' 'परिवार' ...
मुझे रहने दो मेरी
सीप के अन्दर,
उकसाओ मत .. !! अनु!!
Rok lo is toofan ko bheetar hi ... Kaheen pralay n aa jaye ...
ReplyDeleteGahra arth samete ... Bhavpoorn rachna ...