मोहब्बत की नुमाईश यूँ, किया करते नहीं जानां,
इसे तो सबकी नजरों से, छुपा कर दिल में रखते हैं
मोहब्बत इत्र की खुशबू, मोहब्बत गुल सरीखा है,
सुना है मैंने लोगों से, मोहब्बत गम का झोंका है,
नहीं ये दर्द का दरिया, नहीं ये गम का सागर है,
ख़्वाबों की है ये दुनिया, खुशियों की ये गागर है,
जो राह - ए - इश्क चुनते हैं, सदा मंजिल से मिलते हैं ..
मोहब्बत सुबहो की सरगम, मोहब्बत शाम का नगमा,
खुद की है इबादत ये, मोहब्बत रब का है कलमा,
फलक को देखा है किसने, सितारों से जुदा होते,
कभी टकराते दोनों को, इक दूजे से खफा होते ..
जहाँ, जिस दर वो जाते हैं, सितारे साथ चलते हैं ..
!!अनु!!
बहुत खूब ... ये तो सच है की मुहब्बत खुशबू है जो जेहन को महका देती है ...
ReplyDeleteबढिया
ReplyDeleteहोली मुबारक