'प्रेम'
आज कल
रातें भीगी सी हैं ,
और 'दिन' भी
भीगा भीगा सा,
तुम्हारी यादों की सीलन,
मन के कोने कोने में,
महक रही है..
एक छोटी सी ख्वाइश,
अबके सावन,
तुम भी बरसो ..
आज कल
रातें भीगी सी हैं ,
और 'दिन' भी
भीगा भीगा सा,
तुम्हारी यादों की सीलन,
मन के कोने कोने में,
महक रही है..
एक छोटी सी ख्वाइश,
अबके सावन,
तुम भी बरसो ..