Friday 29 March 2013
Friday 22 March 2013
मोहब्बत
मोहब्बत की नुमाईश यूँ, किया करते नहीं जानां,
इसे तो सबकी नजरों से, छुपा कर दिल में रखते हैं
मोहब्बत इत्र की खुशबू, मोहब्बत गुल सरीखा है,
सुना है मैंने लोगों से, मोहब्बत गम का झोंका है,
नहीं ये दर्द का दरिया, नहीं ये गम का सागर है,
ख़्वाबों की है ये दुनिया, खुशियों की ये गागर है,
जो राह - ए - इश्क चुनते हैं, सदा मंजिल से मिलते हैं ..
मोहब्बत सुबहो की सरगम, मोहब्बत शाम का नगमा,
खुद की है इबादत ये, मोहब्बत रब का है कलमा,
फलक को देखा है किसने, सितारों से जुदा होते,
कभी टकराते दोनों को, इक दूजे से खफा होते ..
जहाँ, जिस दर वो जाते हैं, सितारे साथ चलते हैं ..
!!अनु!!
Wednesday 13 March 2013
शेर शायरी
बेवफा ही सही, अज़ीज़ वो रहा,
फासला ही सही, करीब वो रहा ..!!अनु!!
वो मेरे जीने से सारे अस्बाब (कारण) ले गया,
और दामन में जलता इक ख्वाब दे गया ... !!अनु!!
खतों का मेरी मुझको जवाब दे गया,
लिफाफे में रख के कोई गुलाब दे गया .... !!अनु!!
आसमाँ से मांग कर के कतरा वो अब्र का,
पलकों को मेरी तोहफा नायाब दे गया ..!
'या मौला' कभी तो अपनी रहमत की नजर अता कर,
तेरी महफ़िल में इम्तिहाँ के दौर हैं कितने .. ? !!अनु!!
याद तो तेरी साथ है मेरे, फिर भी ये क्या बात हुई,
तन्हा तन्हा दिन गुजरा और तन्हा तन्हा रात गयी !!अनु!!
कभी फूलों की बारिश, तो कभी काँटों पर हैं पाँव ,
'वक़्त' तू सितमगर है या रहनुमा मेरा .. !!अनु!!
न तो संवरती है, और न ही बिखरती है,
'जिंदगी' तू मेरे किसी काम की नहीं .. !!अनु!!
अजीब शख्स था ..गुम हो गया,
मेरी पलकों को, अश्कों की अमानत सौंप कर .. !!अनु!!
तेरे ख्यालों के रहगुजर से जब भी गुजरे,
इक उदास शाम ही नज़र हुई है हमें !!अनु !!
'बेशक' मेरी जिंदगी तेरे साथ की मोहताज नहीं,
पर 'दिल' तेरे एहसासों का तलबगार आज भी है .. !!अनु!!
बेवफा ही सही, अज़ीज़ वो रहा,
फासला ही सही, करीब वो रहा ..!!अनु!!
वो मेरे जीने के सारे अस्बाब (कारण) ले गया,
और दामन में जलता इक ख्वाब दे गया ... !!अनु!
'तुम'
मेरी कविता के प्राण,
शब्द भी
भाव' भी
'तुमसे'
जीवंत हो उठती है
मेरी कविता !!अनु!!
तन्हा ही गुजारी है, तन्हा ही गुजरूंगी,
'जिंदगी' मुझे तेरे साथ की दरकार नहीं ...
अपनी यादों से कहो,
'मेरे' रतजगे जा सामां न बनें ...
'तुमसे'
मोहब्बत उतनी ही,
'जितनी'
पतंगे को लौ से,
दिल को धड़कन,
चाँद को चांदनी से .. !!अनु!!
मैं कविता लिखती नहीं,
कविता तो रिसती है,
मेरे लहू के हर बूँद से !!
Sunday 10 March 2013
***मुक्तक***
लड़खड़ाऊँ कभी, तो मुझे हाथ दे,
अपने सुख दुःख के पल, चलो बाँट लें,
यूँ ही कट जायेगा, जिंदगी का सफ़र,
मैं तेरा साथ दूँ, तू मेरा साथ दे .. !!अनु!!
Sunday 3 March 2013
'प्रेम'
'प्रेम'
अपनी धुरी पर,
तुम्हारे इर्द गिर्द घुमती
'मैं'
यदा कदा बुन ही लेती हूँ
भर देती हूँ उनमे
'इन्द्रधनुषी रंग'
फिर माथे पर सजा,
'टिकुली' की तरह,
इतराती फिरती हूँ,
हर रंग का अपना वजूद,
अपना आकर्षण,
'न' 'न' इसमें हकीकत का
काला रंग न मिलाना,
मुझे वो बिलकुल नहीं भाते ... !!अनु!!
Subscribe to:
Posts (Atom)
साथ
उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...
-
'देह' स्त्री की, जैसे हो, कोई खिलौना, पता नहीं, 'कब' 'किसका' मन मचल पड़े, 'माँ' 'माँ' यही खिलौन...
-
रिमझिम बारिश की बूँदें, ज्यों पड़ती हैं, इस तपती जमीं पर, उठती है खुशबू, 'सौंधी सी' फ़ैल जाती है, 'फिज़ाओ में' हाथ पकड़ कर, खीच...
-
अब जबकि ज़िन्दगी साथ छोड़ रही है, तुम चाहते हो कि बचा लो उसे, अब जबकि मृत्यु उसे आलिंगनबद्ध करना चाहती है, तुम किसी बच्चे की मानिंद भींच...