Tuesday 29 January 2013

मैं कविता में,


मैं कविता में,
प्यार नहीं लिखती, 
नफरत लिखती हूँ,
मिलन नहीं लिखती 
बिछोह लिखती हूँ, 
ख़ुशी नहीं लिखती, 
वेदना लिखती हूँ, 
ऊँचाइयाँ नहीं लिखती, 
गहराइयाँ लिखती हूँ,
मुझे प्यार है, 
डूबते सूरज से, 
गहराती रात से, 
दर्द में डूबे साज से ..!!अनु !!

Monday 21 January 2013

!!अनु!!


यूँ मशरूफियत का किया बहाना मैंने,
खुदी से खुद को किया बेगाना मैंने,
तेरी  हर नजर दिल के पार जाती है,
परवाने सा किया खुद को दीवाना मैंने ... !!अनु!!



चलो, जिंदगी को यूँ जिया जाये,
हरेक ख्वाब को मुकम्मल किया जाये,
दिल तेरे दर्द से आबाद रहा है अक्सर,
कुछ देर को इसे घर छोड़ दिया जाये .. !!अनु!!


'जिंदगी'


         (1)
किसी टूटते दरख़्त को
देखा है कभी,
सुनी है, उसकी चीत्कार,
ऐसे ही चीत्कार उठता है
मेरा मन भी,
जब
रौंदते हो 'तुम'
मेरी 'आत्मा' ,
कुचल देते हो
मेरे 'सपने'
दर्द को होठों में भींच,
समेट  लेती हूँ,
पलकों में आंसू सारे,
सजा लेती हूँ,
मुस्कान 'होठों पर' ,
तुम्हे नफरत जो है,
मेरे उदास चेहरे और
गालों पर लुढ़कते आंसुओं से .. !!अनु!!

     (2)

'जिंदगी'
इम्तिहान लेती है,
फिर मिलता है,
परिणाम,
 'मैं'
बगैर परिणाम की सोचे,
देती हूँ इम्तिहान,
'हर बार'
खबर है मुझे,
उसने मेरी तकदीर में,
हार और वेदना लिखी है,
अरमानों की राख लिखी है,
आशाओं की लाश लिखी है .. !!अनु!!

Friday 11 January 2013

मीरा



'मैं'
मानती रही तुम्हे
'अपना 'प्रेम'
कन्हैया सा रूप,
मोह लेता है मन,
मुझे नहीं बनना
'राधा'
न ही लेना है स्थान,
'रुक्मणि' का,
'मैं'
मीरा सी मगन,
गरलपान कर,
तुममें मिल,
पूर्ण हो जाऊँगी .. !!अनु!!


'तुम पर'
बार - बार
नजरों का ठहर जाना,
कुरेद देता है,
कई पुराने घाव,
पुरानी यादें,
आगे बढ़ते पाँव ,
ठिठक जाते हैं,
कहीं तुम्हारी यादों पर,
कोई और रंग न चढ़ गया हो,
वैसे,
ऐसा हुआ भी न,
तो आश्चर्य नहीं होगा मुझे,
'तुम'
अब भी रहे
'उतने ही व्यावहारिक'
और 'मैं'
वैसी ही 'पगली सी' .. !!अनु!!

साथ

उन दिनों जब सबसे ज्यादा जरूरत थी मुझे तुम्हारी तुमने ये कहते हुए हाथ छोड़ दिया कि तुम एक कुशल तैराक हो डूबना तुम्हारी फितरत में नहीं, का...